Wednesday 21 December 2016

हिदी गतिविधियां













फीजी में हिंदी के नवोदित लेखकों के लिए अत्यंत सफल कार्यशाला
पिछले शनिवार को हिन्दी लेखक संघ फिजी ने महत्वाकांक्षी और हिंदी लेखकों, विद्वानों और हिन्दी के प्रति उत्साही नवोदित लोगों के लिए एक हिन्दी रचनात्मक लेखकों की कार्यशाला आयोजित की। इसमें 44 नवोदित लेखकों की रिकार्ड भागीदारी अपने आप में एक सफलता की कड़ी है। ऐसी कार्यशाला पिछली बार 1998 में हुई थी लेकिन उसमें ज्यादातर यूनिवर्सिटी के छात्र थे।
इसको ऐतिहासिक इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि इसमें भाग ले रहे लोग पूर्वी और पश्चिमी विभाग से थे जिसमें शिक्षक लेखक और विद्यार्थी शामिल थे।
पहला सत्र प्रोफ़ेसर सुब्रमणि द्वारा लिया गया जिसमें उन्होंने गद्य पर बात की। प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने की कोशिश में उन्होंने कहा कि सभी के अंदर एक किताब है। लेखने के विभिन्न प्रकारों पर बोलते हुए उन्होंने यह समझाया कि अपने लेख कों रचनात्मक कैसे बनाएं।
दूसरा सत्र भारतीय उच्चायोग के द्वितीय सचिव, अनिल शर्मा द्वारा लिया गया जिन्होंने कविता पर बातें की। भारत के विभिन्न जाने-माने कवियों की वीडियो प्रस्तुति की गई। उन्होंने हिंदी कविताओं के विभिन्न छंदों पर जानकारी दी।
हिन्दी लेखक संघ फिजी के अध्यक्ष श्री जैनेन प्रसाद ने बताया कि इस शानदार कार्यशाला के संचालन और संयोजन का श्रेय उनके मेहनती सदस्यों को जाता है। इसमें शामिल है श्वेता, श्यामला, अजय सिंह, किरण, उत्तरा गुरदयाल, रोहिणी, और अविनेश। यह USP के साथ साझेदारी में किया गया जिसमें हिंदी भाषा के प्रमुख श्रीमती इंदु चंद्रा का बहुत बड़ा हाथ रहा ।


रचनात्मक लेखकों का यादगार कार्यक्रम, लेखकों की कार्यशालाा- 1998 के बाद पहली कार्यशाला - 44 नवोदित लेखकों की रिकार्ड भागीदारी- प्रस्तुति के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि - फीजी में भारत के हाईकमिश्नर श्री विश्वास सपकाल- प्रख्यात साहित्यकार प्रो सुब्रमणि द्वारा रचना पाठ, श्री परसराम और उत्तरा गुरदयाल की कहानियों की प्रसिद्द रेडियो कलाकार नूरजहां और अविनेश द्वारा प्रस्तुति । अनिल शर्मा, जैनेन प्रसाद, श्वेता , श्यामला , सुभाषिनी लता का काव्यपाठ, श्रीमती किरण सिंह, श्री अजय सिंह, श्री सात्विक दास, श्रीमती आशा दास द्वारा सुरीला संगीत कार्यक्रम । माननीय हाईकमीश्नर द्वारा फीजी में हिदी के प्रचार - प्रसार के लिए हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन। जैनेन प्रसाद का शानदार संचालन और संयोजन- श्री दीवानचंद महाराज, ट्रस्टी - सनातन बोर्ड , भुवन दत्त - आर्य प्रतिनिधि सभा, श्री राजपूत - बैंक आफ बड़ौदा, प्रो मोहंती, श्रीमती इंदु चंद्रा, प्रो. सुरेन्द्र प्रसाद , प्रो दिवाकर आदि उपस्थित, । कार्यशाला में दो सत्र - पहला सत्र - गद्य लेखन - प्रो. सुब्रमणि , दूसरा सत्र - हिदी कविता - भारत के प्रसिद्द कवियों - पाश, बच्चन, भवानी प्रसाद, लोकप्रिय कवि - अशोक चक्रधर , नीरज आदि की वीडियो प्रस्तुति, प्रतिभागियों द्वारा रचना पाठ - रिकार्ड भागीदारी।






भारतीय उच्चायोग, सुवा ,फीजी में अविस्मरणीय कार्यक्रम हुआ और उसका भावनात्मक क्षण तब आया जब रामकथा को ई-ताऊकेई में अऩुवाद करने वाले प्रसिद्ध मीडिया व्यक्तित्व श्री नेमानी अपने अनुभवों को साझा करते हुए राम -भरत प्रसंग को याद कर भावुक हो रो पडे। श्री योगेश कर्ण ( स्थायी सचिव, प्रधानमंंत्री कार्यालय) ने हिदी के संबंध मे सराकरी स्तर पर नीतिगत परिवर्तन - प्रोफेशनल पाठ्यक्रम पर जोर दिया , श्रीमती वीणा भटनागर, महिला, गरीबी उन्मूलन . सहायक मंत्री ने श्री विश्वास सपकाल, हाई कमीश्नर के नेतृत्व में भारतीय हाई कमीशन द्वारा भाषा और संस्कृति संबंधी क्षेत्र मे किए जा रहे जबर्दस्त कार्यों से आ रहे भारी परिवर्तन की सराहना की, चांसलर , फीजी नेशनल युनिवर्सटी, श्री इकबाल जैनिफ ने गिरमिट का इतिहास फिर से लिखने पर जोर दिया, हाई कमीश्नर , श्री विश्वास सपकाल ने हिंदी दिवस की पृष्ठभूमि , हाई कमीशन द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में की गई पहल की जानकारी दी। उन्होंन बताया कि इस वर्ष गिरमिट इतिाहस को हिदी में युवा पीढ़ी तक व्यापक रूप से पहुंचाने के लिए व्यापक स्तर पर प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी और तीन विजेताओं को भारत यात्रा पर भेजा जाएगा। ़डॉ मोहित प्रसाद - प्रसिद्ध विद्ान ने गिरमिट का इतिहास और हिंदी के संबंध में कहा कि कोई भाषा तब मरती है जब हम अपनी विरासत पर शर्म करने लगते हैं, श्री नेमानी ने कहा कि रामकथा से भारतीय मूल के ही नहीं बल्कि इताऊकेई भी प्रेरणा लें सकते हैं यह अद्भुत ग्रंंथ है। , श्रीमती कविता सुदर्शन ने फीजी के कवि श्री कमला प्रसाद मिश्र के गीतो की अविस्मरणीय प्रस्तुति की । कार्यक्रम का संयालन अनिल शर्मा ने किया । कार्यक्रम में युनिवर्सटी ऑफ फीजी के रजिस्ट्रार श्री कमलेश आर्य , आर्य समाज के श्री भुवन दत्त, फीजी सेवाश्रम संघ के स्वामी संयुक्तानंद, सनातन सभा के श्री दीवानचंद, बंैंक आफ ब़़ड़ोदा के सी.ई.ओ श्री राजपूत, एल.आई,सी .आाई के प्रमुख श्री संजय दयाल आदि फीजी भारतीय समाज के प्रमुख लोग उपस्थित थे।










फीजी के पश्चिमी भाग में हिंदी परिषद की स्थापना- हिंदी परिषद अभी तक केवल राजधानी सुवा में थी। दिनांक 17 सिंतबंर को भारतीय मूल के प्रमुख नगरों , बा, लाटुका, नांदी, सिंगाटोका के प्रतिनिधियों के साथ पश्चिमी भाग में हिदंी परिषद की इकाई शुरू की गई । पहली बैठक में जो विषय चर्चा हुई - फीजी में हिंदी शिक्षा के लिए फंड की स्थापना करना, अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन करना , पश्चिम में हिंदी लेखकोें के लिए कार्यशाला करना आदि शामिल थे। बैठक में देश की चारों प्रमुख सामाजिक संस्थाओं आर्य समाज के श्री भुवन दत्त, श्री कमलेश आर्य, सनातन सभा के श्री वीरेन लाल , संगम ( दक्षिण भारतीय मूल के लोग) संस्था के अध्यक्ष श्री नायकर, गुजराती समाज की अध्यक्ष श्रीमती नीरू बहन व श्री मनहर नारसी उपस्थित थे। श्री आनंदी भाई अमीन के संयोजन में श्रीमती सुकेश बली ( युनिवर्सटी ऑफ फिजी) को अध्यक्ष व श्रीमती सुभाषिनी ( फीजी नेशनल युनिवरस्टी ) को महासचिव चुना गया।







भारतीय उच्चायोग के सहयोग से यू.एस.पी में हिंदी दिवस समारोह, 26 सितंबर - डॉ मोहित प्रसाद की गिरमिट पर बनी फिल्म -ए फार एप्पल की शानदार प्रस्तुति , कलाकारों का उत्कृष्ट अभिनय, भारत के हाई कमिश्नर श्री विश्वास सपकाल , भारत में फीजी की हाई कमिश्नर सुश्री नमिता खत्री , सांसद श्री विमान प्रसाद, डीन सुश्री आकानसी की गरिमामयी उपस्थिति





फीजी में हिंदी पर केंद्रित प्रवासी संसार पत्रिका का कार्यवाहक प्रधानमंत्री द्वारा लोकार्पण 




12 देशों केविश्वविद्यालय युनिवर्सटीऑफ साउथ पैसिफिक में हिंदी का अध्य्यन जारी रहेगा। भारत के हाई कमिशनर श्री विश्वास सपकाल द्वारा 79560 फीजीयन डालर की राशि उपकुलपति डॉ राजेश चंद्रा को भेंट। वर्ष 2015 में आर्थिक परेशानियों के कारण हिंदी अध्य्यन को बंद करना पड़ा था। अब भारत सरकार के सहोयग से इसे दुबारा शुरू किया गया है। एक लंबे अभियान और प्रयास की सुखद परिणिति । भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, श्री श्याम परांडे और श्री नारायण कुमार का विशेष आभार।





25 दिन की भारत यात्रा पर जाएंगे - फीजी के 3 विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी - हिंदी में गिरमिट पर प्रतियोगिता के आधार पर 3 विद्यार्थियों का चयन व पुरस्कार दिनांक 9 नवंबर को -कार्यक्रम में पुरस्कार भारत के हाई कमिश्नर व स्वास्थय मंत्री द्वारादिए गए।





लघु कहानी प्रतियोगिता - गिरमिट- प्रथम पुरस्कार - कोमल करिश्मा लता - भारतीय हाई कमीशन की ओर से 25 दिन की भारत यात्रा - 18 नवंबर को पुरस्कार समारोह के आयोजन में अतिथि के रूप में जाने का अवसर मिला - फीजी नेशनल युनिवर्सटी- संयोजक - श्रीमती सुभाषिनी- सान्निध्य - प्रो. सुब्रमणि





4 पुस्तकों का भव्य लोकार्पण कार्यक्रम और चर्चा - दिनांक 6 दिसंबर को युनिवरस्टी आफ साउथ पैसिफिक में फीजी के शिक्षा मंत्री माननीय श्री महेन्द्र रेड्ी द्वारा भारतीय हाई कमीशन के चार्ज डी अफेयर श्री आर.डी.यादव की उपस्थति में 4 पुस्तकों का लोकार्पण और चर्चा का कार्यक्रम हुआ- लेखक/ लेखिका - पुस्तकें हैं - श्रीमती उतरा गुरदयाल - फिलासफी प्यार की, महक - गिरमिट पर आधारित पुस्तक, अलका सिन्हा - जीमेल एक्सप्रेस, भाई चंद पटेल - हाथ की लकीरें । यह कार्यक्रम हिंदी लेखक संघ , भारतीय सांस्कृतिक परिषद और यू.एस.पी के द्वारा किया गया । वक्ता थे- अनिल शर्मा, श्रीमती इंदु चंद्रा, श्रीमती श्यामला , जैनेन प्रसाद। भव्य आयोजन के लिए आयोजकों को बहुत बधाई ।
















फीजी में हिंदी के नवोदित लेखकों के लिए अत्यंत सफल कार्यशाला
पिछले शनिवार को हिन्दी लेखक संघ फिजी ने महत्वाकांक्षी और हिंदी लेखकों, विद्वानों और हिन्दी के प्रति उत्साही नवोदित लोगों के लिए एक हिन्दी रचनात्मक लेखकों की कार्यशाला आयोजित की। इसमें 44 नवोदित लेखकों की रिकार्ड भागीदारी अपने आप में एक सफलता की कड़ी है। ऐसी कार्यशाला पिछली बार 1998 में हुई थी लेकिन उसमें ज्यादातर यूनिवर्सिटी के छात्र थे।
इसको ऐतिहासिक इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि इसमें भाग ले रहे लोग पूर्वी और पश्चिमी विभाग से थे जिसमें शिक्षक लेखक और विद्यार्थी शामिल थे।
पहला सत्र प्रोफ़ेसर सुब्रमणि द्वारा लिया गया जिसमें उन्होंने गद्य पर बात की। प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने की कोशिश में उन्होंने कहा कि सभी के अंदर एक किताब है। लेखने के विभिन्न प्रकारों पर बोलते हुए उन्होंने यह समझाया कि अपने लेख कों रचनात्मक कैसे बनाएं।
दूसरा सत्र भारतीय उच्चायोग के द्वितीय सचिव, अनिल शर्मा द्वारा लिया गया जिन्होंने कविता पर बातें की। भारत के विभिन्न जाने-माने कवियों की वीडियो प्रस्तुति की गई। उन्होंने हिंदी कविताओं के विभिन्न छंदों पर जानकारी दी।
हिन्दी लेखक संघ फिजी के अध्यक्ष श्री जैनेन प्रसाद ने बताया कि इस शानदार कार्यशाला के संचालन और संयोजन का श्रेय उनके मेहनती सदस्यों को जाता है। इसमें शामिल है श्वेता, श्यामला, अजय सिंह, किरण, उत्तरा गुरदयाल, रोहिणी, और अविनेश। यह USP के साथ साझेदारी में किया गया जिसमें हिंदी भाषा के प्रमुख श्रीमती इंदु चंद्रा का बहुत बड़ा हाथ रहा ।

नात्मक लेखकों का यादगार कार्यक्रम, लेखकों की कार्यशालाा- 1998 के बाद पहली कार्यशाला - 44 नवोदित लेखकों की रिकार्ड भागीदारी- प्रस्तुति के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि - फीजी में भारत के हाईकमिश्नर श्री विश्वास सपकाल- प्रख्यात साहित्यकार प्रो सुब्रमणि द्वारा रचना पाठ, श्री परसराम और उत्तरा गुरदयाल की कहानियों की प्रसिद्द रेडियो कलाकार नूरजहां और अविनेश द्वारा प्रस्तुति । अनिल शर्मा, जैनेन प्रसाद, श्वेता , श्यामला , सुभाषिनी लता का काव्यपाठ, श्रीमती किरण सिंह, श्री अजय सिंह, श्री सात्विक दास, श्रीमती आशा दास द्वारा सुरीला संगीत कार्यक्रम । माननीय हाईकमीश्नर द्वारा फीजी में हिदी के प्रचार - प्रसार के लिए हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन। जैनेन प्रसाद का शानदार संचालन और संयोजन- श्री दीवानचंद महाराज, ट्रस्टी - सनातन बोर्ड , भुवन दत्त - आर्य प्रतिनिधि सभा, श्री राजपूत - बैंक आफ बड़ौदा, प्रो मोहंती, श्रीमती इंदु चंद्रा, प्रो. सुरेन्द्र प्रसाद , प्रो दिवाकर आदि उपस्थित, । कार्यशाला में दो सत्र - पहला सत्र - गद्य लेखन - प्रो. सुब्रमणि , दूसरा सत्र - हिदी कविता - भारत के प्रसिद्द कवियों - पाश, बच्चन, भवानी प्रसाद, लोकप्रिय कवि - अशोक चक्रधर , नीरज आदि की वीडियो प्रस्तुति, प्रतिभागियों द्वारा रचना पाठ - रिकार्ड भागीदारी।
























Sunday 7 February 2016






नरेन्द्र कोहली के गीता पर आधारित उपन्यास ‘ शरणम ‘ का फीजी में लोकार्पण
प्रख्यात लेखक नरेन्द्र कोहली के गीता पर आधारित उपन्यास शरणम का लोकार्पण दिनांक 7 जनवरी , 2016 को फीजी की राजधानी सुवा में हिदू सोसायटी द्वारा हिंदू सोसायटी सभागार में संपन्न हुआ। लोकार्पण में साउथ पैसिफिक विश्वविद्यालय की श्रीमती इंदु चन्द्रा, भारतीय उच्चायोग में द्वतीय सचिव अनिल शर्मा , हिदी लेखक संघ , फीजी के श्री जैनेन प्रसाद, फीजी नेशनल युनिवर्सटी में फिल्म स्ट़डीज के प्रों. दिवाकर फीजी सेवाश्रम संघ के अध्यक्ष श्री बच्चू भाई पटेल, गुजराती समाज के मनहर नारसी उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त आर्ट ऑफ लिविंग , ब्रह्मा कुमारी व अन्य भारतीय संस्थाओं के सदस्य भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बोलते हुए श्री इंदु चंद्रा ने पुस्तक की भाषा की सराहना की । उन्होंने कहा की भाषा की प्रौढ़ता, प्रांजलता विषय और चरित्रों के अनुकूल है। उन्होंने बताया की पात्रों का चरित्र चित्रण भी रोचक है और धृतराष्ट्र व गांधारी आदि का चरित्र बहुत सजीव व दिलचस्प बन पढ़े हैं । उन्होंने पुस्तक मे से कुछ अंशो को पढ़ कर बताया कि किस प्रकार पुस्तक में गीता की मौलिक व्याख्या की गई है हिंदी लेखक संघ ,फीजी के श्री जैनेन प्रसाद ने नरेन्द्र कोहली के व्यक्तित्व और लेखन के बारे में बताया । एक हास्य – व्यंग्य कवि और लेखक होने के नाते उन्हें कोहली जी का व्यंग्यकार रूप विशेष रूप से धृतराष्ट्र से संबंधित संवाद बहुत रोचक लगे ।
श्रोताओं को उपन्यास के संबंध में जानकारी देते हुए बताया गया कि इसमें मुख्य पात्र धृतराष्ट्र और संजय के संवाद तो है पर उपन्यास का ताना बाना खड़ा करने के लिए इस प्रकार के अन्य भी युग्म या समूह है जो कृष्ण - अर्जुन के संवाद पर व तात्कालिक परिस्थितियों, घटनाओं, व्यक्तियो पर विचार करते हैं। इसमें विदुर उनकी पत्नी परासांबी व कुंती हैं। गाधारी व उनकी बहुएं हैं। वासुदेव व देवकी हैं । उद्धव व रूक्मणि भी है। इस प्रकार गीता का विवेचन विभिन्न दृष्टिकोणों से किया गया है। साथ ही पाठ को सरस बनाने और सैंद्धांतिकी को रसपूर्ण और ग्राह्य बनाने के लिए केनोनपनिषद और कठोपनिषद आदि से कथाएं ली गई हैं और महाभारत से भी कई दृष्टातों को प्रस्तुत किया है। कुल मिला कर प्रयास गीता के मूल तत्वो से समझौता किए बिना उसे रसपूर्ण , सरल और सुग्राह्य बनाने पर है।

भारतीय उच्चायोग में द्वितीय सचिव ( हिंदी एवं संस्कृति) अनिल शर्मा ‘ जोशी’ ने श्रोताओं को नरेन्द्र कोहली जी के रामायण , महाभारत और विवेकानंद के जीवन के व्याख्याकार और आधुनिक संदर्भों में पुन : प्रस्तुति के बारे में बताया ।
उन्होंने यह भी बताया कि इस उपन्यास के माध्यम से कोहली जी ने भारतीय समाज में वीरता, संघर्ष और प्रतिरोध का दर्शन गीता के संदर्भ में भी प्रतिपादित किया है । उपन्यास में नरेन्द्र कोहली भारत के क्षात्रधर्म का भी आह्वान करते हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य में आजादी के बाद महाभारत पर लिखे महत्वपूर्ण काव्य नाटक अंधायुग का उल्लेख किया , जो युद्द के पश्चात हुए विध्वंस और शांति की बात करता है। उन्होंने कहा कि अहिसा हमारे देश की नीति का अंग है. स्वतंत्रता आंदोलन के समय भी अहिंसा पर बहुत बल दिया गया । पर नरेन्द्र कोहली का नैरेटिव और डिस्कोर्स अलग है। उनका कृष्ण कहता है ‘ जो देश , राष्ट्र और समाज अधर्मियों से लड़ने और मरने से घबराते है; उनसे समझौते करते है, वे ही अपमानजनक और पतित जीवन व्यतीत करते हैं। दास बनकर जी लेते हैं; किंतु अपने सम्मान के लिए लड़ कर मर नहीं सकते । ‘ उनकी व्याख्या सरल है- धर्म की भूमि पर खड़े होने वाले व्यक्ति के लिए कोई अपना पराया नहीं होता , कोई रक्त सबध नहीं होता , कोई सांसारिक सबध नहीं होता । यहां या तो धर्म है या अधर्म। इस मामले में गीता धर्म के लिए प्राण प्रस्तुत करने का, वीरता का आह्वान करती है और अर्जुन को शारिरिक , मानसिक, आत्मिक, मनोवैज्ञानिक रूप से इसके लिए तैयार करती है। नरेन्द्र कोहली का नैरेटिव है कि वे किसी भी देश और जाति के लिए वीरता, बलिदान और युद्ध अनिवार्य हैं। यह वह परंपरा है जो चाणक्य, चन्द्रगुप्त से शिवाजी और राणा प्रताप तक आती है । जो उनकी वीरता, धर्मनिष्ठा पर गर्व का अनुभव करती है , ग्लानि का नहीं। जो अहिंसा और त्याग की परंपरा के साथ दयानंद, विवेकानंद, सावरकर भगतसिंह और सुभाष की परंपरा को भी भारत की गौरवशाली परंपरा मानती है । जो ना ‘दैन्यं ना पलायनं’ पर जोर देती है.। जो मानव जीवन मूल्य को उसका एकांतिक रूप से मूल्याकन नही करती अपितु इतिहास ,मूल्यवोध और धर्म के बरक्स उसको प्रस्तुत करती है और देश, जाति और व्यक्ति को अहिंसा , सहिष्णुता ही नही अपितु जरूरत पढ़ने पर न्याय और धर्म के पक्ष में वीरता, प्रतिरोध, संघर्ष , युद्द का भी आह्वान करती है। उनकी व्याख्या अत्यंत प्रासांगिक है।
कार्यक्रम के पश्चात प्रश्नोतर भी हुए । बहुत से लोगों ने पुस्तक को खरीदने में भी दिलचस्पी दिखाई । आमंत्रित अतिथियों के धन्यवाद से कार्यक्रम समाप्त हुआ।


Tuesday 2 February 2016





ऴिश्व हिंदी दिवस समारोह पर फीजी में भारतीय हाई कमीशन द्वारा हिंदी के तीन विद्वान सम्मानित -जिन स्कूलो की प्रबंध संस्थाएं पहल करेगी , वहां दसवीं कक्षा तक हिंदी अनिवार्य कर दी जाएगी- श्री महेन्द्र रेड़ी- शिक्षा, विरासत एवं कला मंत्री , फीजी सरकार

भारतीय हाई कमीशन में 31 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस समारोह का आयोजन बहुत विशेष था । हिदी की तीन विभूतियों को सम्मानित किया गया । उन पर डाक्यूमेंटरी दिखाई गईऔर शिक्षा एंव विरासत मंत्री ने हिंदी को लेकर कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं की। देश के प्रमुख समाचार पत्र फीजी सन व हिदी के शांतिदूत में प्रमुखता से यह समाचार छपा। कल इस विषय पर फीजी रेडियो पर मेरा इंटरव्यूह भी प्रसारित हुआ - पूरी रिपोर्ट
‘फीजी में जिन स्कूलों की प्रबंध संस्थाएं अपने स्कूलो में कक्षा 10 तक हिदी को अनिवार्य करना चाहेंगी , शिक्षा मंत्रालय उसकी अनुमति देगा । आर्य समाज के उदाहरण का अनुकरण करते हुए सनातन धर्म और संगंम संबंधी संस्थाओं को इसके लिए आगे आना चाहिए ।‘ यह बात फीजी के शिक्षा, विरासत एवं कला मंत्री श्री महेन्द्र रेड़डी ने भारतीय हाई कमीशन में विश्व हिंदी समारोह के अवसर पर हिंदी की तीन विभूतियो को एवार्ड देते हुए कही । इस अवसर पर श्री भुवनदत्त को हिंदी सेवा , श्री नेमानी को सद्भावना पुरस्कार, श्री अनूप कुमार को समर्पित हिंदी शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्री महेन्द्र रेड़ी ने हिंदी के प्रचार - प्रसार के लिए शिक्षा मंत्रालय की तरफ से हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन दिया । इस अवसर पर बोलते हुए हाई कमीशन के कार्यवाहक उच्चायुक्त श्री जे.एस . राणा ने विश्व भाषा के रूप में हिंदी की यात्रा और फीजी में हिंदी के प्रचार - प्रसार के लिए हाई कमीशन द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी। समारोह में इन तीनों पुरस्कार विजेताओं के साक्षात्कार के आधार पर बनी एक डाक्युमेंटरी फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया । फिल्म का निर्देशन व संपादन श्री दिवाकर ( फीजी नेशनल युनिवर्सटी) द्वारा किया गया जबकि साक्षात्कार, पटकथा व संकल्पना अनिल शर्मा द्वारा तैयार की गई थी। हाई कमीशन के प्रथम सचिव श्री जे.जे.वर्मा द्वारा इस अवसर पर प्रधानमंत्री का संदेश पढ़ा गया। कार्यक्रम का संचालन अनिल शर्मा ने किया।
यह पहली बार थी हाई कमीशन द्वारा विश्व हिदी दिवस के अवसर पर फीजी में हिंदी की सेवा में जुटे व्यक्तित्वों को सम्मानित किया गया था। श्री भुवनदत ( हिंदी सेवा पुरस्कार ) श्री नेमानी ( सद्भभावना पुरस्कार ) अनूप कुमार ( समर्पित हिदी शिक्षक) प्रत्येक को 300 फीजीयन डालर, शाल, पुस्तकें व पुष्प गुच्छ प्रदान किए गए। श्री भुवदनत 20 साल से अधिक समय तक फीजी सरकार में सचिव रहे हैं जिसमें से पांच वर्ष वे भारतीय मामलों के मंत्रालय के सचिव रहे हैं। आर्य प्रतिनिधि सभा के भी बीस वर्षों तक वे सचिव रहे हैं। लंबे समय तक वे युनिवर्सटी ऑफ फीजी के प्रो चांसलर भी रहे। साथ ही वे नवगठित हिंदी परिषद के अध्यक्ष हैं। ई- ताऊकेई समाज के श्री नेमानी प्रसिद्ध मीडिया व्यक्तित्व हैं तथा प्रति सप्ताह फीजी टेलिविजन पर भाषाओं पर लोकप्रिय कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। अनूप कुमार ने लंबे समय तक अध्यापन का कार्य किया है और वे रामचरित मानस संस्था के सचिव हैं। इनका चयन हाई कमीशन द्वारा गठित एक समिति द्वारा किया गया था जिसके अध्यक्ष चांसरी प्रमुख श्री रविदत् यादव व सचिव हाई कमीशन में द्वितीय सचिव श्री अनिल शर्मा , यू.एस.पी की श्रीमती इंदु चन्द्रा , शिक्षा मंत्रालय के श्री रमेश चंद्रा , हिदी लेखक संघ , फीजी के श्री जैनेन प्रसाद थे।
श्री महेन्द्र रेड़डी ने कार्यक्रम में लिखित भाषण से हट कर पढ़ते हुए फीजी में हिदी की स्थिति पर खुल कर विचार व्यक्त किए । उन्होंने अपनी त्रिनिडाड यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें देखना है कि फीजी की स्थिति त्रिनिडाड जैसी ना हो जाए जहां लोग हिंदी में रामायण भी नहीं पढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि आर्य समाज की तरह अगर अन्य प्रबंध संस्थाएं भी कक्षा 10 तक हिदी को अनिवार्य करने का प्रस्ताव करती है तो शिक्षा मंत्रालय उस पर सहमति प्रदान करेगा। इसके लिए उन्होंने सनातन धर्म और संगम से जुड़ी संस्थाओं का आह्वान किया। उन्होंने हिंदी के प्रचार – प्रसार के काम से ई- ताऊकेई समुदाय को जोड़ने की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि भारतीयों की संस्थाएं अपनी भाषा के लिए बहुत सजग हैं और हाल में ही सभी संस्थाओं का एक प्रतिनिधिमंडल उन्हें मिला था । यह एक अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा कि भाषा सिर्फ धार्मिक किताबें पढ़ने के काम नहीं आती बल्कि जीवन का नजरिया, जीवन शैली का निर्धारण भाषा से होता है। उन्होंने इस बात पर दुख प्रकट किया कि आजकल लोग बच्चों के नाम भी अंग्रेजी में रखने लग गए हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय द्वारा हिंदी के प्रचार – प्रसार के लिए उठाए जा रहे कामों की जानकारी दी तथा फीजी में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए भारतीय हाई कमीशन के योगदान की प्रशंसा की।
इस अवसर पर तीनो पुरस्कृत व्यक्तियों के साक्षात्कार पर आधारित डाक्यूमेंटरी भी दिखाई गई । इसका निर्देशन व संपादन फीजी नेशनल युनिवर्सटी के डॉ दिवाकर ने किया था जबकि साक्षात्कार अनिल शर्मा द्वारा लिया गया। फिल्म की रचनात्मक संकल्पना ( Creative Concept) भी उन्हीं का था।
अपने साक्षात्कार में श्री भुवन दत्त ने अपने सरकार और सामजिक संस्थाओं में काम करने के अनुभव बताए । उन्होंने कहा कि आर्यसमाज की स्पष्ट नीति है कि अगर हमारे स्कूल में कोई हिदी नहीं पढ़ना चाहता तो वह दूसरा स्कूल देखे। उन्होने सरकार से भी इस संबंध में स्पष्ट और सशक्त नीति लागू करने का आह्वान किया । श्री नेमानी ने काईबीती और ई –ताऊकेई समाज में एकता के लिए दोनो द्वारा एक –दूसरे की भाषा जानने पर जोर दिया। श्री अनूप कुमार ने हिंदी के अध्य्यन के रामचरित मानस के अध्य्यन पर जोर दिया।
इस अवसर पर बैंक ऑफ बड़ोदा के सी.ई.ओ. श्री राजपूत, एल.आई.सी.आई के प्रमुख अधिकारी , श्री दीवान चंद महाराज, श्री वीरेन्द्र ( सनातन धर्म), श्रीमती इंदु चन्द्रा, ( यू.एस.पी) श्री मनहर नारसी, ( गुजराती समाज) श्री अखिलेश प्रसाद( फीजी सेवाश्रम संघ) श्रीमती नीलम ( शांतिदूत) शिक्षा मंत्रालय में कार्यरत हिंदी अधिकारी श्री रमेश चंद, श्रीमती श्यामला श्रीमती रोहिणी लता, यू.एस.पी के श्री सुरेन्द्र प्रसाद हिदी लेखक संघ के श्री जैनेन प्रसाद , विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक और हिदी सेवी उपस्थित थे .






Thursday 28 January 2016

विश्व हिदी दिवस पर फीजी के हिंदी सेवी और विद्वान सम्मानित होंगे











फीजी मे हिदी के 3 विशिष्ट व्यक्तित्व शिक्षा एवं विरासत मंत्री द्वारा सम्मानित होंगे 
फीजी में हिदी मे योगदान देने वालोॆ को प्रोत्साहित और सम्मानित करने के लिए भारतीय हाई कमीशन ने एक पहल की है जिसके अंतर्गत हिॆदी में योगदान करने वालों 3 विशिष्ट व्यक्तित्वों को 31 जनवरी सायं 6 बजे भारतीय हाई कमीशन मे फीजी के शिक्षा एवं विरासत मंत्री श्री महेन्द्र रेड्‍डी द्वारा विश्व हिदी दिवस समारोह मे पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जाएगा। इनमें भारतीय मामलो के सचिव रहे और वर्तमान में हिदी परिषद फीजी के अध्यक्ष श्री भुवन दत्त, प्रसिद्द टी.वी. व्यक्तित्व और ई - ताऊकेई भाषी हिंदी भाषा के विद्वान श्री नेमानी व समर्पित शिक्षक अनूप कूमार शामिल हैॆ
सम्मानित व्यक्तित्व और उनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है ) श्री नेमानी, ( सद्भभावना पुरस्कार)श्री भुवन दत्त , ( हिंदी सेवा) श्री अनूप कुमार ( समर्पित हिंदी शिक्षक)
हिंदी में योगदान करने वाली ई-ताऊकेई व्यक्तित्व
श्री नेमानी बैनीवालु- फीजी के लोकप्रिय टी.वी व्यक्तित्व नेमानी का जन्म बा में हुआ था । उन्होंने वही के खालसा कालेज , जिसके प्रसिद्ध हिंदी लेखक श्री जोगिंदर सिंह कँवल प्रिसिंपल थे, से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने यू.एस.पी से विवेकानंद शर्मा जी , जिन्हें वे अपना गुरू मानते हैं के मार्गदर्शन में हिंदी में डिप्लोमा किया। फीजी टेलिविजन पर इस समय एक कार्यक्रम प्रत्येक सप्ताह में तीन बार दिखाया जाता है। वसया भाषा – Sharing the language । इस कार्यक्रम में वाक्यों को अंग्रेजी, इथुकेई व हिंदी भाषा में बताया जाता है। वे इस कार्यक्रम के प्रोड्युसर एवं प्रस्तुतकर्ता हैं। इसी विषय पर वे एक पुस्तक भी लिख रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री की भारतीयों को संबोंधित सभाओं में उनके भाषण का हिंदी में अनुवाद किया। वे हाल में ही गठित हिंदी परिषद के उपाध्यक्ष हैं । इस समय वे राजेन्द्र प्रसाद की पुस्तक टीयर्स इन पैराडाइस का अनुवाद कर रहे हैं।
हिंदी सेवी – श्री भुवन दत्त
भुवनदत्त जी ने अपनी शिक्षा फीजी, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन से प्राप्त की। उन्होंने अकादमिक विषय लैंड सर्वे था। उन्होंने लगभग 34 वर्ष तक फीजी सरकार में काम किया । जिसमें लगभग 20 वर्ष वे सचिव के पद पर रहे। ज्यादातर वे भूमि, पर्यावरण, खान विकास आदि विभागों में सचिव के रूप में रहे पर इनमें से पांच वर्ष तक वे भारतीय मामलों के सचिव थे। यह समय 1987 से 1992 का समय था जब कू के कारण भारतीय समुदाय चिंताग्रस्त था। वर्ष 1998 में सेवानिवृत्ति के पश्चात वे पूरा समय आर्य समाज को दे रहे हैं। उनके प्रयासों से फीजी नेशनल युनिवर्सटी ,जिसके वे लंबे समय तक प्रो चांसलर रहे में डिग्री स्तर पर हिंदी पढ़ाई जाती है और िपछळे वर्ष से वहां पर संस्कृत का अध्ययन प्रारंभ हो गया है। इस आयु में भी अपनी भाषा और संस्कृति के लिए काम करने का उत्साह कम नहीं हुआ है और वे हाल में ही गठित हिंदी परिषद के अध्यक्ष भी हैं।
भुवनदत्त जी फीजी मे आर्यसमाज की पहचान है। फीजी में आर्यसमाज आर्य प्रतिनिधि सभा के अंतर्गत चलता है और वे इस संस्था के लगभग 20 वर्ष तक सचिव रहे हैं। और अभी इससे जुड़ों सभी ट्रस्टों और संस्थाओं मे मार्गदर्शक भूमिका में हैं।
श्री अनूप कुमार
अनूप कुमार ने लाटुका से अपनी शिक्षा प्राप्त की और हिंदी की पढ़ाई और डिप्लोमा यू.एस.पी से किया । उनके जीवन की कथा संघर्षों से भरपूर है। अपनी पढ़ाई के लिए उन्होंने खेतों में काम किया। उनके पिता कुआं खोदने का काम करते थे जिसके लिए उन्हें 50 शिलिंग प्रति कुआं मिलता था। इनका सपना था वे शिक्षण में जाएं । निरंतर मेहनत और प्रयत्नों से वे शिक्षा में आ गए हैं। आपने पहले विष्णु देव मेमोरियल कालेज व बा सनातन कालेज में पढ़ाया और इस समय जेसपर विलियम्स हाई स्कूल में पढ़ा रहे हैं।
स्कूल की गतिविधियों के अतिरिक्त वे हिंदी और संस्कृति के कार्यॆ में संलग्न है। सनातन सभा के साथ मिल कर त्रिवेणा बाल विकास केंद्र चला रहे है। रामायण की एक मंडली का संयोजन कर रहे है और हाल में ही गठित राम चरित मानस संस्था के महा सचिव के रूप में निर्वाचित हुए हैं।



फीजी में हिंदी परिषद का गठन





फीजी में राष्ट्रीय स्तर की संस्था हिंदी परिषद, फीजी का गठन
दिनांक 16 जनवरी, 2016 को आर्य प्रतिनिधि सभा के मुख्यालय में एक अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें राष्ट्रीय स्तर की संस्था हिदी परिषद, फीजी का औपचारिक रूप से गठन किया गया। फीजी में आर्यसमाज के सबसे वरिष्ठ नेता श्री भुवन दत्त इसके अध्यक्ष और भारतीय मूल के लोगों की बड़ी धार्मिक संस्था सनातन धर्म के सचिव श्री वीरेन्द्र इस संस्था के सचिव निर्वाचित हुए। चुनाव शिक्षा मंत्रालय के श्री रमेश चंद द्वारा करवाए गए। बा से पधारे वरिष्ठ हिंदी सेवी श्री आनंदी भाई , फीजी सेवाश्रम संघ , युवा के संयोजक श्री अखिलेश , मीडिया व्यक्तित्व और ई ताईकेई समाज के श्री नेमानी इसके उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए । सह सचिव के रूप में हिंदी लेखक संघ, फीजी के श्री जैनेन प्रसाद, शिक्षा मंत्रालय की श्रीमती श्यामला, फीजी नेशनल युनिवर्सटी में लेक्चरर श्रीमती सुभाषिनी निर्वाचित हुई। गुजराती समाज की जानीमानी हस्ती श्री मनहर नारसी व विरखू भाई कोषाध्यक्ष व सह –कोषाध्यक्ष निर्वाचित हुए । लाईब्रेरियन के पद पर श्रीमती रोहिणी ( शिक्षा मंत्रालय) को निर्वाचित किया गया। युनिवर्सटी ऑफ साउथ पैसिफिक की श्रीमती इंदु चंद्रा, संगम के श्री सदाशिव नायकर, शिश्रा मंत्रालय के श्री रमेश चंद, फीजी नेशनल युनिवर्सटी की श्रीमती विद्या सिंह व मास्टर नरेश यूनिवर्सटी ऑफ फीजी की श्रीमती सुकेश बली व श्री रीगेन्द्र लाल , वरिष्ठ हिंदी सेवी श्रीमती भिंडी, श्रीमती मनीषा रामरखा, हिंदी सेवी किरण माला सिंह , श्री अजय सिंह, श्रीमती सरिता चंद, पंडित विज्ञान शर्मा बा के प्रसिद्द कवि श्री युसुफ, लंबासा की हिदी लेखिका श्रीमती प्रवीणा को समिति का सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया। पहली बार किसी हिंदी संस्था में ई-ताऊकेई समाज और मुस्लिम समाज का भी प्रतिनिधित्व है।
परिषद को भारतीय उच्चायोग का सहयोग प्राप्त है। देश में हिंदी की राष्ट्रीय संस्था खड़ा करने के प्रयास पूर्व में भारतीय उच्चायुक्त श्री प्रभाकर झा व श्री विनोद कुमार ने क्रमश : 2008 व 2011 में किए थे। उसी कड़ी को आगे बढ़ाया गया है। परिषद की अब तक कई तैयारी बैठक हो चुकी हैं और दिनांक 18 दिसंबर, 2015 को परिषद द्वारा ‘फीजी में हिंदी की स्थिति’ विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई थी। फीजी में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की प्रमुख संस्थाओं में इसकी भागीदारी तो है ही साथ उनके प्रतिनिधियों को परिषद की बैठक में विशेष आमंत्रित के रूप में बुलाया जाना प्रस्तावित है। परिषद में देश के सभी प्रमुख नगरों , सुवा, लाटुका, बा, नांदी, लंबासा से हिंदी प्रेमी हैं। आर्य समाज, सनातन सभा , गुजराती समाज, फीजी सेवाश्रम संघ, शिक्षा मंत्रालय, युनिवर्सटी ऑफ साउथ पैसिफिक, फीजी नेशनल युनिवर्सटी और युनिवर्सटी ऑफ फीजी का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया है। परिषद ने फरवरी में विश्व हिंदी दिवस के आयोजन पर लेखकों की कार्यशाला व प्रस्तुति व भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन करने के बारे में दो समितियों का गठन किया है।

Sunday 17 January 2016

फीजी में राष्ट्रीय स्तर की संस्था हिंदी परिषद, फीजी का गठन
      दिनांक 16 जनवरी, 2016 को आर्य प्रतिनिधि सभा के मुख्यालय में एक अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें राष्ट्रीय स्तर की संस्था हिदी परिषद, फीजी का औपचारिक रूप से गठन किया गया। फीजी में आर्यसमाज के सबसे वरिष्ठ नेता श्री भुवन दत्त इसके अध्यक्ष और भारतीय मूल के लोगों की बड़ी धार्मिक संस्था सनातन धर्म के सचिव श्री वीरेन्द्र इस संस्था के सचिव निर्वाचित हुए। चुनाव शिक्षा मंत्रालय के श्री रमेश चंद द्वारा करवाए गए। बा से पधारे वरिष्ठ हिंदी सेवी श्री आनंदी भाई , फीजी सेवाश्रम संघ , युवा के संयोजक श्री अखिलेश , मीडिया व्यक्तित्व और ई ताईकेई समाज के श्री नेमानी इसके उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए । सह सचिव के रूप में हिंदी लेखक संघ, फीजी के श्री जैनेन प्रसाद, शिक्षा मंत्रालय की श्रीमती श्यामला, फीजी नेशनल युनिवर्सटी में लेक्चरर श्रीमती सुभाषिनी निर्वाचित हुई। गुजराती समाज की जानीमानी हस्ती श्री मनहर नारसी व विरखू भाई कोषाध्यक्ष व सह –कोषाध्यक्ष निर्वाचित हुए । लाईब्रेरियन के पद पर श्रीमती रोहिणी ( शिक्षा मंत्रालय) को निर्वाचित किया गया। युनिवर्सटी ऑफ साउथ पैसिफिक की श्रीमती इंदु चंद्रा, संगम के श्री सदाशिव नायकर, शिश्रा मंत्रालय के श्री रमेश चंद, फीजी नेशनल युनिवर्सटी की श्रीमती विद्या सिंह व मास्टर नरेश यूनिवर्सटी ऑफ फीजी की श्रीमती सुकेश बली व श्री रीगेन्द्र लाल , वरिष्ठ हिंदी सेवी श्रीमती भिंडी, श्रीमती मनीषा रामरखा, हिंदी सेवी किरण माला सिंह , श्री अजय सिंह, श्रीमती सरिता चंद, पंडित विज्ञान शर्मा बा के प्रसिद्द कवि श्री युसुफ, लंबासा की हिदी लेखिका श्रीमती प्रवीणा को समिति का सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया। पहली बार किसी हिंदी संस्था में ई-ताऊकेई समाज और मुस्लिम समाज का भी प्रतिनिधित्व है। 

परिषद को भारतीय उच्चायोग का सहयोग प्राप्त है। देश में हिंदी की राष्ट्रीय संस्था खड़ा करने के प्रयास पूर्व में भारतीय उच्चायुक्त श्री प्रभाकर झा व श्री विनोद कुमार ने क्रमश : 2008 व 2011 में किए थे। उसी कड़ी को आगे बढ़ाया गया है। परिषद की अब तक कई तैयारी बैठक हो चुकी हैं और दिनांक 18 दिसंबर, 2015 को परिषद द्वारा ‘फीजी में हिंदी की स्थिति’ विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई थी। फीजी में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की प्रमुख संस्थाओं में इसकी भागीदारी तो है ही साथ उनके प्रतिनिधियों को परिषद की बैठक में विशेष आमंत्रित के रूप में बुलाया जाना प्रस्तावित है। परिषद में देश के सभी प्रमुख नगरों , सुवा, लाटुका, बा, नांदी, लंबासा से हिंदी प्रेमी हैं। आर्य समाज, सनातन सभा , गुजराती समाज, फीजी सेवाश्रम संघ, शिक्षा मंत्रालय, युनिवर्सटी ऑफ साउथ पैसिफिक, फीजी नेशनल युनिवर्सटी और युनिवर्सटी ऑफ फीजी का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया है। परिषद ने फरवरी में विश्व हिंदी दिवस के आयोजन पर लेखकों की कार्यशाला व प्रस्तुति व भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन करने के बारे में दो समितियों का गठन किया है।