Saturday 24 October 2015

हिंदी समुदायों के बीच पुल है



भारत के हाई कमीशन , सुवा में दिनांक 23  अक्तूबर , 2015 को वार्षिक हिंदी दिवस का आयोजन भारत के हाई कमीशन, सुवा की एल.सी.आई. बिल्डिंग में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण काईबीती समाज के विद्वान, गायक व विद्यार्थियों की भागीदारी थी। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में विश्व िहंदी सम्मेलन में भाग लेने गए फीजी के प्रतिनिधिमंडल का अभिनंदन किया गया। फीजी का आजतक का सबसे बड़ा 19 सदस्यीय दल भारत में 10 से 12 सितंबर को आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन में भाग लेने और भारत के प्रमुख ऐतिहासिक और धार्मिक स्थानों को देखने के लिए गया था ।  कार्यक्रम की अध्यक्षता फीजी में भारत के उच्चायुक्त श्री गीतेश शर्मा ने की ।

इस अवसर पर बोलते हुए भारत के हाई कमिश्नर श्री गीतेश शर्मा ने अंग्रेजी के अतिरिक्त अन्य भाषाओं के अध्य्यन के लाभों की चर्चा की ।   उन्होंने कहा कि इससे संपूर्ण व्यक्तित्व विकसित करने में सहायता मिलती है। उन्होंने एक रोचक कहानी के माध्यम से मातृभाषा के महत्व को रेखांकित किया।

कार्यक्रम में बोलते हुए श्री नेमानी
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण काईबीती समाज के सदस्यों की भागीदारी थी। प्रसिद्ध मीडिया व्यक्तित्व और हिंदी के विदवान श्री नेमानी ने इस अवसर पर अपनी हिंदी यात्रा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने यह यात्रा बा के खालसा कालेज से शुरू की थी , जहां के प्रिसिंपल श्री जोगिंदर सिंह कँवल हिंदी के प्रमुख लेखक थे । वहां उनके अध्यापक हिंदी के प्रति समर्पित  श्री रहमत अली थे। यहां उन्होने कँवल जी उपन्यास ‘सवेरा’ पढ़ा जिससे वे बहुत प्रभावित हुए। उनकी हिंदी यात्रा को बहुत बल मिला जब उन्हें युनिवर्सटी ऑफ साउथ पैसिफिक में विवेकानंद शर्मा से पढ़ने का मौका मिला। यहां उन्होंने निर्मला, मृगनयनी और हिंदी साहित्य की अनेक महत्वपूर्ण कृतियां पढ़ीं। उन्होंने कहा कि फीजी काईबीती समाज को भारतीय समाज को जानने के लिए हिंदी का अवश्य अध्य्यन करना चाहिए। उन्होंने कहा  कि एक - दूसरे की भाषाएं जानने स ेसमुदायों की गलतफहमियां और पूर्वाग्रह कम होते हैं और समुदाय निकट आते हैं।



 इस अवसर पर प्रसिद्ध गायक जिमी सुभयदास ने इ-ताऊकेई और हिंदी में गीत गाकर समा बांध दिया। 





दो काइबीती छात्राओँ ने हिदी अध्य्यन के लाभ पर अपना भाषण प्रस्तुत किया। 

भारत गए फीजी के प्रतिनिधिमंडल ने स्लाइड द्वारा अपनी भारत यात्रा के यादों को दर्शकों के सामने रखा। भारत की प्रमुख संस्थाओं  में प्राप्त स्वागत और अभिनंदन के और ऐतिहासिक और धार्मिक स्थनों के पर्यटन ने इस यात्रा को अविस्मरणीय बना दिया। इस अवसर पर बोलते हुए शांतिदूत की संपादिका श्रीमती नीलम ने भारत सरकार और भारतीय हाई कमीशन के प्रति अपना आभार प्रकट किया और भारत और हिंदी के लिए निरंतर काम करने का संकल्प दोहराया। युनिवर्सटी ऑफ साउथ पैसिफिक की श्रीमती इंदु चंद्रा ने उच्च स्तर पर हिंदी पढ़ाने में आने वाली समस्याओं की चर्चा की। 

सुश्री श्वेता ने भारत यात्रा पर लिखी दिल छूने वाली कविता ‘ यह भी मेरे घर की धरती, वह भी मेरे घर की धरती ‘ सुनाई । 

 कार्यक्रम में प्रतिनिधिमंडल के सबसे वरिष्ठ सदस्य श्री दीवानचंद महाराज और प्रतिनिधिमंडल के नेता श्री रमेश चंद का  पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया । 

कार्यक्रम के अंत  में हिंदी प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों द्वारा भारत के हाई कमीशनर को आभार स्वरूप एक भेंट दी गई । हाई कमीश्नर महोदय द्वारा कार्यक्रम में भाग लेनेे वाली छात्राओं को उपहार दिए। 


कार्यक्रम में स्वागत और धन्यवाद भारत के हाईकमीशन में कार्यरत अनिल शर्मा , द्वितीय सचिव, हिंदी व संस्कृति द्वारा दिया गया।  उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक केंद्र और एल.आई.सी.आई का विशेष आभार व्यक्त किया।

1 comment:

  1. ब्लॉग बहुत अच्छा है, स्थानीय (फ़ीजी) साहित्यकारों के विषय में काफ़ी जानकारियाँ दी है आपने। कृपया फ़ीजी की भौगौलिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक जानकारियाँ भी दें। साथ ही फ़ीजी में रहने वाले भारतीयों पर स्थानीय संस्कृति का प्रभाव कितना बदलाव लेकर आया? भारतीयों के साथ रहने वाले फ़ीजी के नागरिकों में हमारी संस्कृति का क्या असर हुआ। इत्यादि जानकारियों से भी अवगत कराएं।

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